Tuesday, January 6, 2009

ऑफिस सार.....

ऑफिस सार.....

हे पार्थ,
इन्क्रीमेंट अच्छा नही हुआ ,बुरा हुआ !
इन्सेन्टिव नही मिला , ये भी बुरा हुआ !!
वेतन में कटौती हो रही है, बुरा हो रहा है !
तुम पिछले इन्सेन्टिव न मिलने का पश्चाताप न करो !!
तुम अगले इन्सेन्टिव की चिंता भी मत करो
बस, अपने वेतन में संतुष्ट रहो ।।
तुम्हारी जेब से क्या गया जो तुम रोते हो ?
जो आया था, सब यहीं से आया था॥
तुम जब नही थे, तब भी यह कंपनी चल रही थी ।
तुम जब नही होगे, तब भी चलेगी ॥

तुम कुछ भी लेकर यहाँ नही आए थे ।
जो भी मिला है, बस यही से मिला है ।
जो काम किया है, वह कंपनी के लिए किया है ।
डिग्री लेकर आए थे, अनुभव लेकर जाओगे ।

जो कंप्यूटर आज तुम्हारा है ,
वह कल किसी और का था ।
कल किसी और का होगा ॥
तो परसों किसी और का होगा ॥
फिर तुम इसे अपना समझकर क्यो मगन हो ।

यही खुशी तुम्हारी समस्त , परेशानियों का मूल कारण है ॥
क्यो तुम व्यर्थ चिंता करते हो, किससे व्यर्थ डरते हो ।
कौन तुम्हे निकाल सकता है ।
सतत परिवर्तन कंपनी का नियम है ।
जिसे तुम नियम परिवर्तन कहते हो, वही तो चाल है ॥
एक पल में तुम बेस्ट परफोर मर और सुपर स्टार हो।
दूसरे पल तुम लास्ट परफोर मर बनकर टारगेट अचीव नही कर पाते हो ॥
अप्प्रेजल , इन्सेन्टिव ये सब अपने मन से हटा दो ।
अपने विचार से मिटा दो।
न ये इन्क्रीमेंट वगेरह तुम्हारे लिए है ,
न तुम इसके लिए हो ।
परन्तु तुम्हारा जॉब सुरछित है ।
फिर तुम परेशान क्यो होते हो ?
तुम अपने आपको कंपनी को अर्पित कर दो ।

मत करो इन्क्रीमेंट की चिंता , बस मन लगाकर अपना कर्म किए जाओ ।
यही सबसे बड़ा गोल्डन रूल है॥
जो इस गोल्डन रुल को जनता है , वही सुखी है ।
वह इन रिव्यू , इन्सेन्टिव, एप्परेसल , रिटायर्मेंट आदि
के बंधन से सदा के लिए मुक्त हो जाता है ॥
तो तुम भी मुक्त होने का प्रयास करो, खुश रहो ॥

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